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Hindutva (Hindi Edition)

De: Vinayak Damodar Savarkar
Narrado por: Kumud Soney
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Resumen del Editor

हिंदुत्व का विचार’, ‘भारत की प्राचीनतमा’, ‘हमारी राष्ट्रीयता’, ‘समाज का आचरण’, ‘स्त्री सशक्तीकरण’, ‘विकास की अवधारणा’, ‘अहिंसा का सिद्धांत’, ‘बाबा साहेब आंबेडकर’ और ‘भारत का भवितव्य’ जैसे विचारों को परिष्कृत करेगी।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक ऐसा सांस्कृतिक संगठन है, जिसके लाखों समर्पित स्वयंसेवक राष्ट्र-निर्माण में लगे हैं और भारत को परम वैभव संपन्न बनाने के लिए कृतसंकल्पित हैं। परम पूज्य सरसंघचालक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने सन् 1925 की विजयादशमी को इसी उद्देश्य से संघ की स्थापना की। समर्पित भाव से व्यक्ति-निर्माण के महती कार्य को लक्षित कर संघ के स्वयंसेवक देश-समाज के प्रायः सभी क्षेत्रों—सेवा, विद्या, चिकित्सा, छात्र, मजदूर, राजनीति—में ‘राष्ट्र सर्वोपरि’ के मूलमंत्र को जीवन का ध्येय मानकर प्राणपण से जुटे हैं। संघ दुनिया में अपनी तरह का अकेला संगठन है। पिछले कुछ समय में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को निकट से जानने और गहराई से समझने की जिज्ञासा बढ़ी है। संघ के छठे और वर्तमान सरसंघचालक डॉ. मोहनराव भागवत के विचारों पर आधारित यह पुस्तक इस दिशा में दीपशिखा का काम करेगी।

यह पुस्तक अलग-अलग अवसरों पर दिए उनके व्याख्यानों का संग्रह है। ‘हिंदुत्व का विचार’, ‘भारत की प्राचीनतमा’, ‘हमारी राष्ट्रीयता’, ‘समाज का आचरण’, ‘स्त्री सशक्तीकरण’, ‘विकास की अवधारणा’, ‘अहिंसा का सिद्धांत’, ‘बाबा साहेब आंबेडकर’ और ‘भारत का भवितव्य’ जैसे विषयों पर दिए गए उनके व्याख्यान संघ को समझना आसान बना देते हैं। वैसे अपने व्याख्यानों में मोहनराव भागवत बार-बार कहते हैं कि ‘संघ को समझना हो तो संघ में आइए’। यह पुस्तक पाठक के विचारों को परिष्कृत करेगी और समाज में ऐसे राष्ट्रभाव जाग्रत् करेगी, जिससे ‘यशस्वी भारत’ का लक्ष्य सिद्ध होगा।

Please note: This audiobook is in Hindi.

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