• इसे तुम कविता नहीं कह सकते

  • De: Lokesh Gulyani
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इसे तुम कविता नहीं कह सकते

De: Lokesh Gulyani
  • Resumen

  • Spoken word poetry in Hindi by Lokesh Gulyani
    Copyright Lokesh Gulyani
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Episodios
  • Episode 5 - भूखे आदमी की फ़िक्र
    Sep 11 2024
    मेरे लिए कभी किसी का पानी आंखों से उतर कर मट्टी में नहीं समाया। अगर समाया होता तो मैं उसे ढूंढ लेता हर उस कण में जहां उसके मिलने की उम्मीद होती और उसे बाहर खींचने में त्याग देता अपनी भी आंख का खारा पानी।
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    3 m
  • Episode 4 - इस ख़्याल को रुक जाना चाहिए
    Sep 10 2024
    कुछ लोग ख्यालों को दबाना सीख चुके हैं, वे लोग उदास हैं। कुछ ने अभी नहीं सीखा है, वे जल्दी में हैं, उन्हें उनके ख्याल से भी पहले कहीं पहुंचना है।
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    3 m
  • Episode 3 - तुम irrelevant हो
    Sep 10 2024
    जैसे ये शरीर की सुई थी, वैसी ही क्या कोई सिरेंज मन को टटोलने के लिए मिलती है? क्या मन की परतों में कोई सुई घुसाई जा सकती है और उसका हाल पता किया जा सकता है? क्या मन को कोई गोली देकर भटकाया जा सकता है, ख़ुश किया जा सकता है, कुछ भूलने को विवश किया जा सकता है। बात न मानने पर क्या मन की बाँह मरोड़ी जा सकती है या उसे चांटा लगाया जा सकता है?
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    4 m

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