• राजनीति के छः गुण

  • Aug 1 2022
  • Duración: 2 m
  • Podcast

राजनीति के छः गुण  Por  arte de portada

राजनीति के छः गुण

  • Resumen

  • यदि शत्रु अपने से बलवान हो तो उससे मेल कर लेना ‘सन्धि’ कहलाता है। दोनों का बल समान होने पर युद्ध जारी रखना ‘विग्रह’ है। दुर्बल शत्रु के दुर्ग पर आक्रमण करने को ‘यान’ कहते हैं। अपने से अधिक शक्तिशाली शत्रु के आक्रमण करने पर दुर्ग के अंदर रहकर आत्मरक्षा करने को ‘आसन’ कहते हैं। यदि शत्रु माध्यम श्रेणी का हो तो उसके प्रति ‘द्वैधीभाव’ का सहारा लिया जाता है अर्थात् बाहर कुछ और और अंदर कुछ और व्यवहार किया जाता है। आक्रमणकारी से प्रताड़ित होकर मित्र की सहायता लेने को ‘समाश्रय’ कहते हैं। न विश्वसेच्च नृपतिर्न चात्यर्थं च विश्वसेत्। षाड्गुण्यगुणदोषांश्च नित्यं बुद्धयावलोकयेत्।। राजा किसी पर भी विश्वास न करे। विश्वसनीय व्यक्ति का भी अधिक विश्वास न करे। राजनीति के छः गुणों सन्धि, विग्रह, यान, आसन, द्वैधीभाव और समाश्रय का अपनी बुद्धि द्वारा निरीक्षण कर उपयोग करे। Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices
    Más Menos
activate_primeday_promo_in_buybox_DT

Lo que los oyentes dicen sobre राजनीति के छः गुण

Calificaciones medias de los clientes

Reseñas - Selecciona las pestañas a continuación para cambiar el origen de las reseñas.