• इश्क़ दोबारा (Love Again)

  • Oct 1 2023
  • Duración: 2 m
  • Podcast

इश्क़ दोबारा (Love Again)

  • Resumen

  • एक किताब सा मैं जिसमें तू कविता सी समाई है,

    कुछ ऐसे ज्यूँ जिस्म में रुह रहा करती है।

    मेरी जीस्त के पन्ने पन्ने में तेरी ही रानाई है,

    कुछ ऐसे ज्यूँ रगों में ख़ून की धारा बहा करती है।


    एक मर्तबा पहले भी तूने थी ये किताब सजाई,

    लिखकर अपनी उल्फत की खूबसूरत नज़्म।

    नीश-ए-फ़िराक़ से घायल हुआ मेरा जिस्मोजां,

    तेरे तग़ाफ़ुल से जब उजड़ी थी ज़िंदगी की बज़्म।


    सूखी नहीं है अभी सुर्ख़ स्याही से लिखी ये इबारतें,

    कहीं फ़िर से मौसम-ए-बाराँ में धुल के बह ना जायें।

    ए'तिमाद-ए-हम-क़दमी की छतरी को थामे रखना,

    शक-ओ-शुबह के छींटे तक इस बार पड़ ना पायें।


    Write to me at HindiPoemsByVivek@Gmail.com

    Más Menos

Lo que los oyentes dicen sobre इश्क़ दोबारा (Love Again)

Calificaciones medias de los clientes

Reseñas - Selecciona las pestañas a continuación para cambiar el origen de las reseñas.