Shri Ram katha  Por  arte de portada

Shri Ram katha

De: Sutradhar
  • Resumen

  • Sutradhar brings to you ShriRam Katha based on the Ramayana composed by Maharshi Valmiki. We will cover stories from Shriram's birth till his killing of Ravan to rescue his beloved wife Sita. The series will start from Bal Kand and will end with Lanka Kand of Ramayan. Thanks to Akshaya Watve and Madhavi Todkar for their efforts in making this project happen.
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Episodios
  • All about Ranbhoomi - Kurukshetra Boardgame
    May 15 2023
    Find out about our recently released board game Ranbhoomi - Kurukshetra, based on the events of Mahabharata. A perfect gift for kids this summer vacation. Visit playranbhoomi.com and order now. Gift an introduction to the greatest epic ever written to your children through this well researched board game.
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    1 h y 3 m
  • रावण वध
    Oct 5 2022
    अपने पुत्रों, भाइयों और सभी प्रमुख महारथियों की मृत्यु के पश्चात रावण ने अत्यंत क्रोधित होकर वानर सेना पर आक्रमण कर उनके मध्य हाहाकार मचा दिया। रावण ने तमस अस्त्र का प्रयोग कर अनेक वानरों को धराशायी कर दिया। श्रीराम और लक्ष्मण ने वानरों को इस प्रकार गिरते हुए देखा और रावण का सामना करने का निश्चय किया। लक्ष्मण ने अपने बाणों से रावण पर प्रहार किये। दोनों के बीच घमासान युद्ध छिड़ गया। लक्ष्मण ने अपने बाणों से रावण के सारथी को मारकर रावण का धनुष तोड़ दिया। विभीषण ने अपने मुग्दर से रावण के रथ के घोड़ों को मार गिराया। इससे क्रोधित होकर रावण के एक भाला उठाया और अपने भाई पर प्रहार किया। लक्ष्मण ने अपने तीरों से उस भाले को तीन हिस्सों में काटकर गिरा दिया। रावण ने एक और भाला उठाकर फिर से विभीषण की ओर निशाना साधा। विभीषण के प्राण खतरे में देखकर लक्ष्मण ने रावण पर लगातार तीरों से प्रहार किये। रावण ने विभीषण को छोड़कर वह भाला जोर से लक्ष्मण जी की ओर फेंका। भाला लक्ष्मण के वक्षस्थल पर लगा और उसके प्रहार से वो मूर्छित हो गए। श्रीराम ने लक्ष्मण को मूर्छित होते देखा तो तुरंत ही उनके पास आए और अपने हाथों से लक्ष्मण जी की छाती पर लगा हुआ भाला बाहर निकाला। हनुमान जी और सुग्रीव को लक्ष्मण की सुरक्षा में नियुक्त कर वो रावण का सामना करने लगे। अपने रथ से विहीन रावण श्रीराम के बाणों का सामना नहीं कर सका और लंका वापस लौट गया। रावण के युद्धस्थल से जाने के बा श्रीराम लक्ष्मण जी के पास आए और उनका सर अपनी गोद में रखकर विलाप करने लगे। श्रीराम को विलाप करता देखकर वानरों के वैद्य और तारा के पिता सुषेण ने उनको सांत्वना देते हुए कहा की लक्ष्मण जी सिर्फ मूर्छित हुए हैं। उन्होंने हनुमानजी से जांबवान के बताए हुए द्रोणगिरि पर्वत पर जाकर वहाँ से सभी घाव भरने वाली विशल्यकर्णी और जीवनदायिनी संजीवनी, सौवर्णकर्णी और संधानकर्णी नामक जड़ी बूटियाँ लाने को कहा। हनुमानजी मन की गति से द्रोणगिरि पर्वत पहुँचे और सही जड़ी-बूटी ना पहचानने के कारण पूरा द्रोणगिरि पर्वत ही उठाकर लंका ले आए। सुषेण ने हनुमानजी द्वारा लाई हुई बूटियों से औषध तैयार की और लक्ष्मण जी को सुँघाई। औषध की गंध से लक्ष्मण जी की मूर्छा टूटी और उनके घाव भी भर गए। रावण जब पुनः अपने रथ...
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    8 m
  • कुम्भ-निकुम्भ वध
    Oct 4 2022
    श्रीराम और लक्ष्मण के सचेत होने के बाद सुग्रीव ने वानर सेना को लंका नगरी में आग लगाने की आज्ञा दी। सुग्रीव की आज्ञा पाकर वानर सेना ने अपने हाथों में मशालें लेकर लंका नगरी में आग लगाना शुरू कर दिया। सभी नगर वासी राक्षसों में हाहाकार मच गया। तब रावण ने कुंभकर्ण के पुत्रों कुम्भ और निकुंभ के नेतृत्व में राक्षस सेना को वानर सेना से युद्ध करने भेजा। युद्ध प्रारम्भ होते ही महाबली अंगद ने कंपन नामक राक्षस को एक चट्टान के प्रहार से मार गिराया। यह देखकर कुम्भ ने अपने बाणों से वानर सेना पर आक्रमण कर दिया। कुम्भ के बाण लगने से द्विविदा आहत होकर गिर गया। अपने भाई को इस प्रकार आहत देखकर मैंदा ने कुम्भ पर आक्रमण किया, परंतु वह भी कुम्भ के बाणों से घायल होकर मूर्छित हो गया। अपने मामाओं को इस प्रकार पराजित होता देखकर महाबली अंगद ने कुम्भ को ललकारा। अंगद और कुम्भ के बीच घमासान युद्ध हुआ और अंततः अंगद कुम्भ के बाणों के प्रहार से आहत होकर मूर्छित हो गए। जब श्रीराम को अंगद के मूर्छित होने का समाचार मिला तो उन्होंने महाबली जांबवान के नेतृत्व में वानर सेना को कुम्भ का सामना करने के लिए भेजा। जांबवान, सुषेण और वेगदर्शी ने कुम्भ पर चट्टानों और वृक्षों से आक्रमण किया परंतु कुम्भ ने अपने तीरों से उनके प्रहारों को निष्फल कर दिया। तब वानरराज सुग्रीव ने अनेक वृक्षों को कुम्भ की ओर फेंका, जिन्हे कुम्भ ने अपने तीरों से नष्ट कर दिया। सुग्रीव ने क्रोध में आकर कुम्भ का धनुष तोड़ दिया। धनुष टूट जाने पर कुम्भ सुग्रीव की ओर लपका और अपनी मुष्टिका से कई बार सुग्रीव की छाती पर प्रहार किये। सुग्रीव ने भी कुम्भ की छाती पर अनेक बार मुष्टिका से प्रहार किये। कुम्भ एक भीषण गर्जना के साथ भूमि पर गिर गया और उसके प्राण निकल गए। अपने भाई को धराशायी होते देखकर निकुम्भ क्रोध से भरकर एक विशाल मुग्दर लेकर वानर सेना पर टूट पड़ा। पवनपुत्र हनुमान को अपने सामने देखकर उसने अपने मुग्दर से उनके वक्ष पर प्रहार किया। बजरंगबली के वक्ष से टकराकर मुग्दर सौ टुकड़ों में टूटकर बिखर गया। दोनों महाबालशाली योद्धाओं में बीच मल्लयुद्ध छिड़ गया। अंततः बजरंगबली ने निकुम्भ की गर्दन तोड़कर उसे यमलोक भेज दिया।
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    4 m

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