• Tarr Ka mela

  • Sep 14 2023
  • Duración: 2 m
  • Podcast

  • Resumen

  • इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति व प्रसिद्ध इतिहासकार प्रो. एनआर फारुकी बताते हैं कि मिर्जा जहांगीर जब खुसरोबाग में कैद था, तो वह दक्षिणी गेट से अक्सर शहर की मुस्लिम आबादी वाले इलाकों में जाता था और कुलीन लोगों के बीच दावत खाता था। वह ईद के दिन सबसे मिलता था। उसने ईद के अगले दिन लगने वाले टर्र के मेले की शुरुआत की थी। यह मेला मंसूर अली पार्क में अब भी लगता है। उसकी इच्छा थी कि इस मेले में हर वर्ग के लोग शामिल हों और सद्भाव का माहौल बनाएं। ईद के अगले दिन लगने वाले मेले को टर कहा जाता है। यहां टर से टर्र कब से कहा जाने लगा, इसका कोई उल्लेख नहीं मिलता। हो सकता है कि टर्र अपभ्रंश हो। वैसे टर के कई अर्थ हैं, इनमें एक है जोर-जोर से बोलना।


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