• Maut Ik Geet Raat Gaati Thi | Firaq Gorakhpuri

  • Jun 28 2024
  • Duración: 2 m
  • Podcast

Maut Ik Geet Raat Gaati Thi | Firaq Gorakhpuri

  • Resumen

  • मौत इक गीत रात गाती थी

    ज़िन्दगी झूम झूम जाती थी

    ज़िक्र था रंग-ओ-बू का और दिल में

    तेरी तस्वीर उतरती जाती थी


    वो तिरा ग़म हो या ग़म-ए-आफ़ाक़

    शम्मअ सी दिल में झिलमिलाती थी


    ज़िन्दगी को रह-ए-मोहब्बत में

    मौत ख़ुद रौशनी दिखाती थी

    जल्वा-गर हो रहा था कोई उधर

    धूप इधर फीकी पड़ती जाती थी

    ज़िन्दगी ख़ुद को राह-ए-हस्ती में

    कारवाँ कारवाँ छुपाती थी


    हमा-तन-गोशा ज़िन्दगी थी फ़िराक़

    मौत धीमे सुरों में गाती थी


    ज़िक्र: चर्चा
    ग़म-ए-आफ़ाक़: क्षितिज / संसार का दुख
    राह-ए-हस्ती: रास्ता
    हस्ती: जिन्दगी की राह
    कारवाँ: क्राफ्रिला
    हमा-तन-गोश: पूरी जिस्म का कान बन जाना

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