• Tum Aayin | Kedarnath Singh

  • Aug 11 2024
  • Duración: 2 m
  • Podcast

Tum Aayin | Kedarnath Singh

  • Resumen

  • तुम आईं | केदारनाथ सिंह


    तुम आईं

    जैसे छीमियों में धीरे- धीरे

    आता है रस

    जैसे चलते-चलते एड़ी में

    काँटा जाए धँस

    तुम दिखीं

    जैसे कोई बच्चा

    सुन रहा हो कहानी

    तुम हँसी

    जैसे तट पर बजता हो पानी

    तुम हिलीं

    जैसे हिलती है पत्ती

    जैसे लालटेन के शीशे में

    काँपती हो बत्ती।

    तुमने छुआ

    जैसे धूप में धीरे धीरे

    उड़ता है भुआ

    और अन्त में

    जैसे हवा पकाती है गेहूँ के खेतों को

    तुमने मुझे पकाया

    और इस तरह

    जैसे दाने अलगाए जाते हैं भूसे से

    तुमने मुझे खुद से अलगाया।


    Más Menos

Lo que los oyentes dicen sobre Tum Aayin | Kedarnath Singh

Calificaciones medias de los clientes

Reseñas - Selecciona las pestañas a continuación para cambiar el origen de las reseñas.