• दिन 54: परमेश्वर से कैसे सुनें

  • Feb 23 2025
  • Length: 11 mins
  • Podcast

दिन 54: परमेश्वर से कैसे सुनें  By  cover art

दिन 54: परमेश्वर से कैसे सुनें

  • Summary

  • मरकुस 7:1-30, निर्गमन 33:7-34:35, भजन संहिता 25:8-15, जब मैं उसे सड़क से नीचे आते हुए देखता था तब मैं सड़क पार कर लेता था ताकि उसे नज़रअंदाज़कर सकूँ। यूनिवर्सिटी के पहले सप्ताह में मैं उससे नाश्ते के टेबल पर मिला था। उसका चेहरा चमकदार और मुस्कुराहट से भरा था। मैं इस तरह के एक या दो और लोंगो से भी मिला था जिनका चेहरा भी इसी तरह से दिखाई देता था। इसने मुझे संदेहास्पद बना दिया! कुछ महीनों बाद, मेरी मुलाकात यीशु से हुई और मैंने पाया कि इन लोगों के चेहरे चमक रहे थे क्योंकि वे यीशु के साथ समय बिता रहे थे, परमेश्वर को सुनते हुए। मूसा की तरह, जब वह परमेश्वर की बातें सुनकर पहाड़ से नीचे उतरे थे, उसी तरह से उनके चेहरे चमकदार थे। यीशु ने कहा कि 'मनुष्य केवल रोटी से जीवित नही रहता परंतु हर उस वचन से जो परमेश्वर के मुख से निकलता है’ (मत्ती 4:4)। जैसे हमें भौतिक भोजन की आवश्यकता होती है ठीक वैसे ही हमें आत्मिक भोजन की आवश्यकता भी होती है। आत्मिक भोजन परमेश्वर के वचनों को सुनने से मिलता है।
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