• दिन 60: मेरी आँखें खुल गईं
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  • दिन 59: दया में धनवान
    Feb 28 2025
    मरकुस 10:13-31, लैव्यव्यवस्था 4:1-5:13, भजन संहिता 27:7-14, एक व्यक्ति एक सफल कलाकार के द्वारा अपनी तस्वीर बनवा रहा था। जब तस्वीर बन चुकी, तब उसे दिखाया गया। वह व्यक्ति उसे देखकर बहुत दुखी हो गया। जब उससे पूछा गया कि क्या उसे यह पंसद आया? उसने जवाब दिया, 'मुझे नहीं लगता है कि यह मेरे साथ न्याय करता है।' इसके जवाब में कलाकार ने कहा, 'श्रीमान, आपको न्याय की नहीं, बल्कि दया की आवश्यकता है!' हम सभी को न्याय से अधिक दया की आवश्यकता है। 'परमेश्वर की दया' का विषय पूरी बाईबल में दिखाई देता है। परमेश्वर 'दया का धनी' है (इफिसियों 2:4)। ग्रीक शब्द 'एलोस' का अर्थ है 'दया, करुणा, तरस।' परमेश्वर की दया आपके लिए उपलब्ध है। आज के हमारे लेखांश में हम लोगों के कुछ उदाहरण को देखते हैं जिन्होंने परमेश्वर की दया को ग्रहण किया था।
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  • दिन 58: परिपूर्णता में कैसे बढ़ें
    Feb 27 2025
    मरकुस 9:33-10:12, लैव्यव्यवस्था 1:1-3:17, भजन संहिता 27:1-6, क्या आप अपनी समय सारिणी में यीशु को लाने की कोशिश करते हैं? या आप अपनी समय सारिणी यीशु के अनुसार बनाते हैं? युजिन पीटरसन लिखते हैं, 'परमेश्वर हमारी योजनाओं में नहीं आ सकते हैं, हमें उनकी योजना में आना है।' हम परमेश्वर का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं – परमेश्वर एक औज़ार या उपकरण या क्रेडिट कार्ड नहीं हैं। वचन पवित्र है जो कि परमेश्वर को हमारी इच्छा – विश्व में सफलता बनने के लिए परिपूर्णता कल्पना या हमारे आदर्श समाज की योजनाओं में शामिल करने में हमारे सभी प्रयासों से अलग और ऊपर रखते हैं। पवित्र का अर्थ है कि परमेश्वर, अपनी शर्तों पर जीवित हैं, हमारे अनुभव और कल्पना के परे जीवित हैं। पवित्र का अर्थ है एक तीव्र शुद्धता के साथ जीवन की आग जो हर उस वस्तु को बदल देता है जो इसके संपर्क में आता है। इब्रानी शब्द 'पवित्र' (गदोश) का शायद से अर्थ 'अलग' या 'अलग रखा गया' है। यह परमेश्वर की 'भिन्नता' का वर्णन करता था, और कैसे उनका चरित्र और स्वभाव किसी भी दूसरे व्यक्ति या वस्तु से कही ज़्यादा और अधिक अद्भुत है। किसी वस्तु के 'पवित्र' होने का अर्थ है इसका परमेश्वर के लिए समर्पित होना। आप उस हद तक पवित्र हैं कि आपका जीवन उनके लिए समर्पित है और आपके कार्य उनके चरित्र को दर्शातें हैं। पवित्रता और संपूर्णता एक - दूसरे से जुड़े हुए हैं, और परमेश्वर आपके जीवन की संपूर्णता चाहते हैं।
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  • दिन 57: शौहरत से बेहतर
    Feb 26 2025
    मरकुस 9:2-32, निर्गमन 39:1-40:38, भजन संहिता 26:1-12,
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  • दिन 56: अपने जीवन को महान कैसे बनाएं
    Feb 25 2025
    मरकुस 8:14-9:1, निर्गमन 37:1-38:31, नीतिवचन 6:1-11, एक सुंदर बुद्धिमान बूढ़ी दादी की तरह। किंतु एक चीज़ है जिसे मैं कभी नहीं भूलूँगा – उनके पैर। उनके पैर खराब हो गए थे। हर सबेरे मैं उन्हें घूरता था। मुझे आश्चर्य होता था कि कही उन्हें कोढ़ तो नहीं हुआ है। एक दिन एक सिस्टर ने बताया, 'उनके पैर खराब हो गए हैं क्योंकि हमें सभी के लिए केवल पर्याप्त दान किए गए जूते मिलते हैं, और मदर नहीं चाहती हैं कि कोई भी खराब जोड़े में फँस जाएं, इसलिए वह उनमें पैर डालकर स्वयं उन्हें ढूँढ़ती हैं। और सालों से ऐसा करने के कारण उनके पैर खराब हो गए हैं।' 'सालों से अपने पड़ोसियों से अपने ही समान प्रेम करने के कारण उनके पैर खराब हो गए'। जब लोगों से पूछा जाता हैं कि वे किसके जीवन को ज़्यादा पसंद करते हैं, अक्सर जवाब होता है 'मदर टेरेसा'। उन्होंने अपने जीवन को महान बनाया। यह एक विरोधाभास है, क्योंकि उनका जीवन स्वयं को नकारने वाला जीवन था, अपने क्रूस को लेकर यीशु के पीछे चलना। जीवन एक असाधारण और अद्भुत उपहार है। बाइबल में हमें नियमित रूप से चिताया गया है कि इस उपहार को व्यर्थ न जाने दें, बल्कि इसे महान बनाएं।
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  • दिन 55: परमेश्वर उन चीज़ों को बढ़ाते हैं जो हम उन्हें देते हैं
    Feb 24 2025
    मरकुस 7:31-8:13, निर्गमन 35:1-36:38, भजन संहिता 25:16-22, कॉनवेल ने उसे बताया कि एक दिन उनके पास इतनी बड़ी ईमारत होगी कि वे सभी को अंदर ले पायेंगे। उसने कहा, 'मैं आशा करती हूँ कि ऐसा ही हो। यह बहुत ही भरा हुआ है मुझे अकेले अंदर जाने में डर लगता है।’ उन्होंने उत्तर दिया, 'जब हमें पैसा मिल जाएगा तब हम एक बड़ी ईमारत बनवायेंगे ताकि सभी बच्चे अंदर आ पाएं।’ दो साल बाद, 1886 में, हेटी में की मृत्यु हो गई। दफन करने के बाद हेटी की माँ ने सेवक को एक छोटा सा बैग दिया, जो उन्हें अपनी बेटी के तकिये के नीचे मिला था जिसमें 57 सिक्के थे जिसे उसने जमा किए थे। साथ ही उसकी लिखावट में एक परची मिलीः 'ईमारत को बड़ा बनाने में सहायता करने के लिए ताकि और ज़्यादा बच्चे संडे स्कूल में आ सकें ।' सेवक ने पूरे पैसे को पेनी मे बदल दिया और हर एक को बेचने के लिए निकाला। उन्हें $250 मिले – और 54 सेंट वापस मिल गए। $250 पेनी में बदल दिये गए और नये संगठित 'वेट माईट सोसायटी’ के द्वारा बेच दिया गया। इस तरह से उसके 67 सेंट निरंतर बढ़ते गए। छब्बीस साल बाद '57 सेंट का इतिहास’ नामक बातचीत के दौरान, सेवक ने उसके 57 सेंट दान के परिणाम को समझायाः एक चर्च जिसमें 5600 से अधिक सदस्य हैं, एक अस्पताल जहाँ पर हज़ारों लोगों का इलाज होता है, 80000 युवा लोग यूनिवर्सिटी में जाते हैं, 2000 लोग सुसमाचार का प्रचार करने जाते हैं - यह सब हो पाया, 'क्योंकि हेटी मे वेट ने 57 सेंट का निवेश किया था।’ बढ़त का विषय पूरी बाइबल में लिखा हुआ है। जो जोड़ने के द्वारा नहीं पाया जा सकता, उसे परमेश्वर बढ़ाने के द्वारा करते हैं। हम जो बोतें हैं वही काटते हैं, केवल उससे कई गुना हो जाता है। जो कुछ हम परमेश्वर को देते हैं, वह उसे बढ़ा देते हैं। में फिलेडेल्फिया में ग्रेस बॅपटिस्ट चर्च के पास रहती थी। संडे स्कूल बहुत ही भरा हुआ था। सेवक, रसेल एच
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  • दिन 54: परमेश्वर से कैसे सुनें
    Feb 23 2025
    मरकुस 7:1-30, निर्गमन 33:7-34:35, भजन संहिता 25:8-15, जब मैं उसे सड़क से नीचे आते हुए देखता था तब मैं सड़क पार कर लेता था ताकि उसे नज़रअंदाज़कर सकूँ। यूनिवर्सिटी के पहले सप्ताह में मैं उससे नाश्ते के टेबल पर मिला था। उसका चेहरा चमकदार और मुस्कुराहट से भरा था। मैं इस तरह के एक या दो और लोंगो से भी मिला था जिनका चेहरा भी इसी तरह से दिखाई देता था। इसने मुझे संदेहास्पद बना दिया! कुछ महीनों बाद, मेरी मुलाकात यीशु से हुई और मैंने पाया कि इन लोगों के चेहरे चमक रहे थे क्योंकि वे यीशु के साथ समय बिता रहे थे, परमेश्वर को सुनते हुए। मूसा की तरह, जब वह परमेश्वर की बातें सुनकर पहाड़ से नीचे उतरे थे, उसी तरह से उनके चेहरे चमकदार थे। यीशु ने कहा कि 'मनुष्य केवल रोटी से जीवित नही रहता परंतु हर उस वचन से जो परमेश्वर के मुख से निकलता है’ (मत्ती 4:4)। जैसे हमें भौतिक भोजन की आवश्यकता होती है ठीक वैसे ही हमें आत्मिक भोजन की आवश्यकता भी होती है। आत्मिक भोजन परमेश्वर के वचनों को सुनने से मिलता है।
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  • दिन 53: यीशु के साथ समय कैसे बिताएँ
    Feb 22 2025
    मरकुस 6:30-56, निर्गमन 31:1-33:6, भजन संहिता 25:1-7, फरवरी 1974 में मेरी यीशु के साथ मुलाकात हुई। मैं उन लोगों का बहुत आभारी हूँ जिन्होंने शुरुवात से मुझे 'शांत समय’ की महत्ता को सिखाया। पुराना प्रचलित शब्द 'शांत समय’ (इसका अर्थ है बाईबल पढ़ने और प्रार्थना करने के लिए अलग निकाला गया समय) इसका उद्गम शायद से नये नियम के लेखांश में यीशु के वचनों में से हुआ हैं, 'मेरे साथ एक शांत जगह में चलो’ (मरकुस 6:31)। जब मैं अठारह वर्ष का था तब से ही मैंने प्रतिदिन सुबह की शुरुवात इसी तरह से की है। मैं एक शांत जगह में यीशु के साथ अकेले समय बिताने की कोशिश करता हूँ। कभी - कभी यह बहुत थोड़े समय के लिए होता है, और कभी यह बहुत देर तक चलता है। लेकिन जैसे कि मुझे दिन की शुरुवात नाश्ते के बिना करना पसंद नहीं हैं, वैसे ही मैं आत्मिक भोजन के बिना दिन की शुरुवात करने की कल्पना नहीं कर सकता हूँ। लगभग हमेशा, मैं बाईबल पढ़ने से शुरुवात करता हूँ, क्योंकि मैं विश्वास करता हूँ कि यह ज़्यादा ज़रूरी है कि यीशु मुझसे बात करें, इसकी तुलना में कि मैं उनसे बात करॅं। मेरे प्रतिदिन के विचार अब इन नोट्स के मुख्य आधार हैं, जिन्हें हम अपने बाइबल इन वन यर में भेजते हैं।
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